Thursday, December 31, 2009

ek aur naya saal

आज रात १२ बजते ही एक और नया साल आ जायेगा। देखा जाये तो सिर्फ तारीखे बदल जाएँगी दिन वही रहेंगे । कुछ बदलेगा तो आज रात लोगों के मिलने का अंदाज़ । जशन में डूबे लोग पूरी रात मौज मस्ती करेंगे । नए साल का बेसब्री से इंतज़ार करेंगे। १२ बजते ही धूम धड़ाके के साथ मस्ती में डूबे लोग, फिर सुबह का इंतजार करेंगे। ऑफिस जाने वाले लोग ऑफिस जायेंगे। घरेलु औरतेअपने दिन की शुरुआत पुराने तरीके से शुरू करते हुए ही नाश्ते की तय्यारी में जुट जाएँगी । बच्चो के स्कूलों की छुट्टी पड़ी हुई है तो वोह आराम से उठेंगे और युवा बाहर अपनी सोशल नेटवर्किंग में जुट जायेंगे। उस के बाद धीरे धीरे सब अपने ढर्रे में लौट जायेंगे। किसने ३१ की रात क्या किया बस यादों में ही रह जायेगा । लोग नए साल पर नए नए प्रण करते हैं । लेकिन अगर सर्वे किया जाये तो बहुत कम लोग मिलेंगे जो अपने प्रण को पूरा करते होंगे। एक रात में प्रण करके उसी समय भूल जाने वाले आखिर प्रण क्यों करते हैं ? अगर प्रण करना ही है तो एक दिन का करो और उसे पूरा करने के लिए एक दिन लो। अगर पूरा हो जाये तो उसे दुसरे दिन फिर करने की कोशिश करो । ऐसा करके शायद हम अपना प्रण पूरा कर सके । और फिर किसी को किसी खास दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा । हर दिन नया साल होगा। हर शुरुआत नयी होगी। फिर हर जशन नया होगा। और उस जशन का मज़ा ही कुछ और ही होगा।